नक्षत्र देवता: अर्यमा
नक्षत्र स्वामी: सूर्य
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति युद्ध विद्या में निपुण, लड़ाकू एवं साहसी होता है. आप देश और समाज में अपने रौबीले व्यक्तित्व के कारण पहचाने जाते हैं. उत्तराफाल्गुनी जातक दूसरों का अनुसरण नहीं करते अपितु लोग उनका अनुसरण करते हैं. आपमें नेतृत्व के गुण जन्म से ही होते हैं अतः आप अपना कार्य करने में खुद ही सक्षम होते हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक दूसरों के इशारों पर चलना पसंद नहीं करता . यह लोग सिंह की भाँती अकेले ही अपना शिकार खुद करते हैं. उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र जातक राजा समान भोगी एवं पर स्त्री में रूचि रखने वाले होते हैं. चन्द्रमा के प्रभाव में यदि हो तो जातक विद्या बुद्धि से युक्त धनी एवं भाग्यवान होता है.
उत्तराफाल्गुनी जातक मित्र बनाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं. मित्रों की सहायता करने तथा उनसे सहायता प्राप्त करने में भी यह संकोच नहीं करते. हैं. आप मित्रों को बहुत महत्व देते हैं. मित्रता के सम्बन्ध में भी इनके साथ यह बातें लागू होती हैं, ये जिनसे दोस्ती करते हैं उसके साथ लम्बे समय तक मित्रता निभाते हैं। उदारता तथ दूसरों की सहायता करना आपके स्वभाव में ही है. आप अतिथितियों के आदर सत्कार में कभी कोई कमी नहीं छोड़ते हैं. आप बुद्धिमान होने के साथ साथ व्यवहार कुशल एवं हास्य प्रेमी भी हैं. अपनी इन्ही विशेषताओं के कारण आप सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।
आपके लिए व्यापार एवं व्यवसाय या अन्य निजि कार्य करना लाभप्रद नहीं होता है।जो व्यक्ति उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में पैदा होते हैं वे स्थायित्व में यकीन रखते हैं, इन्हें बार बार काम बदलना पसंद नहीं होता है। ये जिस काम में एक बार लग जाते हैं उस काम में लम्बे समय तक बने रहते हैं। इनके स्वभाव की विशेषता होती है कि ये स्वयं सामर्थवान होते हुए भी दूसरों से सीखने में हिचकते नहीं हैं। अपने स्वभाव की इस विशेषता के कारण ये निरंतन प्रगति की राह पर आगे बढ़ते हैं। उत्तराफाल्गुनी जातक आर्थिक रूप से सामर्थवान होते हैं क्योंकि दृढ़विश्वास एवं लगन के साथ अपने लक्ष्य को हासिल करने हेतु तत्पर रहते हैं।पारिवारिक जीवन के सम्बन्ध में देखा जाए तो ये अपनी जिम्मेवारियों का पालन अच्छी तरह से करते हैं।
विशेषताएं
प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी सूर्य हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक पंडित अर्थात अपने क्षेत्र का विद्वान् होगा इसका कारक इस चरण का नवांशेश गुरु है. नक्षत्र स्वामी एवं सूर्य दोनों ही विद्या के लिए शुभ गृह है. दोनों का चन्द्र पर प्रभाव जातक को पंडित बनाएगा. मंगल की दशा अन्तर्दशा में जातक का भाग्योदय होगा . गुरु की दशा शुभ फल देगी.
द्वितीय चरण : इस चरण का स्वामी शनि हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक राजा या राजा समान वैभवशाली एवं पराक्रमी होता है. लग्नेश बुध की दशा उत्तम फल देगी. शुक्र की दशा में जातक का भाग्योदय होगा.
तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी शनि हैं. इस नक्षत्र में यदि चन्द्रमा भी है तो व्यक्ति हर हाल में अपने शत्रुओं पर विजयी होगा तथा प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त करेगा. लग्नेश बुध की दशा अच्चा फल देगी, शनि अनिष्ट फल नहीं देगा अपिटी शुक्र व् शनि की दशा में जातक का भाग्योदय होगा.
चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी गुरु हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक धार्मिक स्वभाव वाला, अपने संस्कारों के प्रति आस्थावान एवं सभ्य होगा. शुक्र की दशा में जातक का भाग्योदय होगा एवं बृहस्पति की दशा उत्तम फल देगी.